Thursday, 20 September 2018

एमबीए एजुकेशन लोन से सम्बन्धित 10 जरुरी बातें




एमबीए एजुकेशन लोन से सम्बन्धित 10 जरुरी बातें

आजकल एमबीए की पढ़ाई बहुत महँगी हो चुकी है और इस पढ़ाई के लिए बैंको से लोन की व्यवस्था करना एंट्रेंस एग्जाम में पास कर किसी अच्छे कॉलेज में अपने लिए एक सीट सुरक्षित करने के समान ही एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. जब भी एजुकेशन के लिए फायनांस या एजुकेशन लोन की बात की जाती है तो एमबीए के अधिकतर छात्र एजुकेशन लोन के जरिये ही अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं और यह उनको एक आसान विकल्प लगता है. लेकिन यह बात तो सही है कि लोन या ऋण लेने के कुछ खतरे या जोखिम भी होते हैं.एमबीए के लिए लिया जाने वाल लोन भी इस जोखिम से परे नहीं है. अर्थात उसमें भी कुछ जोखिम बना रहता है. एमबीए के लिए लिए जाने वाले एजुकेशन लोन में भी कई जोखिम हैं जिनकी वजह से एमबीए करते समय या उसेक बाद भी छात्रों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
इसलिए सही एजुकेशनलोन का चुनाव भी अपने आप में बहुत महत्व रखता है.
अतः एक सही एजुकेशन लोन का चुनाव करते समय इन 10 बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए और उनका अनुसरण करना चाहिए
एमबीए के लिए एजुकेशन लोन लेते समय आपसे गलती हो सकती है.
अन्य लोन की तरह एमबीए एजुकेशन के लिए लोन एक ऐसा लोन है जिसे छात्र आईआईएम या भारत के अन्य प्राइवेट एमबीए कॉलेजों और प्रमुख बी-स्कूलों में अपनी मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए बैंको से इन्ट्रेस्ट पर उधार ले सकते हैं. जब आप किसी ऑर्गनाइजेशन या बैंक से लोन ले रहे हैं तो आपको अवश्य ही उसपर कुछ इन्ट्रेस्ट देना होगा. इसलिए लोन लेने से पहले इन्ट्रेस्ट रेट से जुडी हर बातें छात्रों को अच्छी तरह से पता होनी चाहिए ताकि उन्हें पढाई करते समय या पढ़ाई करने के बाद मुश्किलों का सामना न करना पड़े.
एमबीए एजुकेशन लोन से सम्बन्धित मुख्य बातें जैसे की उनके स्थगन की अवधि (मोर्टेरियम पीरियड),इन्ट्रेस्ट रेट, पुनर्भुगतान की शर्तों (रीपेमेंट रेट) आदि कई ऐसे पहलू हैं जिनके बारे में सही जानकारी नहीं होने से छात्र अपनी पढाई पूरी कर लेने के बाद परेशानी में पड़ सकते हैं. यदि छात्र समय पर ऋण नहीं चुका पाते या फिर ईएमआई का पेमेंट नहीं कर पाते हैं तो उन्हें लोन के अतिरिक्त और लोन राशि पर अधिक इन्ट्रेस्ट जुर्माना राशि के रूप में चुकाना पड़ता है. इससे लोन का पेमेंट और अधिक मुश्किल होता चला जाता है और छात्र इसमें और उलझते चले जाते हैं.
अतः यदि आप एमबीए करना चाहते हैं और उसके लिए एजुकेशन लोन लेने की योजना बना रहे हैं तो किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए नीचे दिए गए इन 10 बातों पर जरुर गौर करें -
1. बाजार में उपलब्ध सभी एजुकेशन लोन की तुलना कर उसके फायदे नुकसान को समझने की कोशिश करें
आज, कई सरकारी और प्राइवेट बैंकों के साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (नन बैंकिंग फायनेंसियल इंस्टीट्यूट) अपनी अपनी शर्तों पर एमबीए के लिए एजुकेशन लोन देते हैं. जिन नियमों और शर्तों पर एमबीए एजुकेशन लोन की पेशकश की जाती है,वे अपने फॉर्मेट में एक दूसरे से बिलकुल अलग होती है. इसलिए मार्केट में उपलब्ध सभी एजुकेशन लोन की जानकारी रखते हुए उनकी तुलना करते हुए जिसकी पॉलिसी आपको बेस्ट लगती हो उसे लेने का मन बनाए.
याद रखिये जब आप एक बार विभिन्न एजुकेशन लोन की जानकारी इकठ्ठा कर लेते हैं तो आप आसानी से उनकी तुलना कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि आपकी आवश्यकता के अनुरूप सबसे उपयुक्त कौन सा है?
2. कोई मार्जिन मनी नहीं
अधिक संख्या में एजुकेशन लोन देने वाले उधारदाताओं ने भारत में शीर्ष एमबीए कॉलेजों और उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों के हिसाब से अपने पने मैट्रिक्स को डिजाइन किया है. इस मैट्रिक्स के आधार पर, बैंक / एनबीएफसी यह तय करते हैं कि क्या वे पूरी एमबीए शिक्षा के लिए फायनांस कर सकते हैं,जिसमें ट्यूशन शुल्क के साथ-साथ अन्य अतिरिक्त खर्च को भी शामिल किया जा सकता है.
यदि नहीं, तो ये बैंक आंशिक रूप से छात्र की एमबीए शिक्षा को फायनांस करेंगे और शेष राशि के लिए मार्जिन मनी की व्यवस्था करने के लिए उधारकर्ता से पूछेंगे. हालांकि, यह स्थिति सही नहीं है लेकिन इस पर बातचीत की जा सकती है. कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और यहां तक कि कुछ प्राइवेट बैंक भी हैं जो एमबीए एजुकेशन लोन पर   मार्जिन राशि की मांग नहीं करते हैं. एजुकेशन लोन लेने के लिए छात्रों को हमेशा उस लोन के प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए जिसमें मार्जिन मनी के भुगतान की आवश्यकता न पड़े.
एजुकेशन लोन देने वाले अधिकांश बैंको या उधारदाताओं की पहले से ही मार्जिन मनी के बारे में निर्धारित शर्ते होती हैं और वे इसका विवरण अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध कराते हैं.
अतः एमबीए के लिए एजुकेशन लोन लेने की इच्छा रखने वाले छात्र इनकी सही तरीके से जाँच पड़ताल कर अपने लिए सर्वोत्तम विकल्प का चयन कर सकते हैं.
3. कोई लोन प्रोसेसिंग फी नहीं
यह बात तो सबको पता है कि अधिकांश बैंक और एनबीएफसी लोन सैंक्शन करने (अथवा उसे संसाधित) के लिए प्रोसेसिंग फी लेते हैं. एमबीए एजुकेशन लोन भी इससे अछुता नहीं है. एमबीए एजुकेशन लोन की प्रोसेसिंग फी भिन्न भिन्न बैंको तथा ऑर्गनाइजेशन में अलग अलग हो सकती है. कुछ बैंक कुल राशि का 0.5 प्रतिशत से लेकर 2 प्रतिशत चार्ज करते हैं जबकि जबकि कई अन्य 5000 रुपये या उससे अधिक के फ्लैट चार्ज लेते हैं. लेकिन, ये शुल्क निगोसियेबल हैं और बातचीत के माध्यम से इसे बैंक द्वारा माफ कराया जा सकता है. कई ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं जो योग्य उम्मीदवारों से प्रोसेसिंग फी नहीं लेते हैं.यहां तक कि कुछ प्राइवेट बैंक तथा एनबीएफसी भी एमबीए एजुकेशन लोन के लिए प्रोसेसिंग फी चार्ज नहीं करते हैं. इसलिए प्रोसेसिंग फी के मामले में हमेशा बातचीत कर इसका समाधान तलाशें और कोशिश करें कि यह फी आपको नहीं देना पड़े.
4. इन्ट्रेस्ट रेट स्ट्रक्चर का मूल्यांकन करें
एमबीए की पढ़ाई के लिए लिया गया एजुकेशन लोन एक ऋण है और अगर आप यह लोन लेते हैं तो आपको उसपर इन्ट्रेस्ट पे करना पड़ेगा. प्रत्येक बैंक अपना बेस रेट निर्धारित करते हैं और उसी रेट पर किसी को लोन देते हैं. एमबीए के लिए एजुकेशन लोन बैंको द्वारा निर्धारित बेसिस रेट पर ही दिया जाता है. इसके इन्ट्रेस्ट की अंतिम रेट बैंक या फायनांस करने वाली कंपनी की नीति के आधार पर बेसिस रेट से अधिक या कम हो सकती है.
आम तौर पर बैंक एजुकेशन लोन पर इन्ट्रेस्ट रेट को  बेस रेट + इन्ट्रेस्ट की अतिरिक्त रेट  दोनों को मिलाकर लेते हैं. एमबीए एजुकेशन लोन के लिए आवेदन करने से पहले बैंको की बेस रेट तथा उनके द्वारा निर्धारित रेट दोनों की अच्छी तरह से छानबीन कर लेनी चाहिए.
5. मोरेटोरियम पीरियड में इन्ट्रेस्ट रेट
आम तौर पर एमबीए के लिए एजुकेशन लोन एक ग्रांट के साथ प्रदान किया जाता है और मोरेटोरियम पीरियड में इन्ट्रेस्ट रेट नहीं लिया जाता है. अगर स्पष्ट शब्दों में कहें तो लोन लेने वाले उम्मीदवार को मोरेटोरियम पीरियड में किसी तरह का इन्ट्रेस्ट पे नहीं करना पड़ता है.लेकिन सिर्फ इसलिए कि आपको इस पीरियड के दौरान ऋण चुकाने की जरूरत नहीं पड़ती , इसका मतलब यह नहीं है कि बैंक इसके लिए आपको ब्याज नहीं लेगा.
सामान्यतः मोरेटोरियम पीरियड में एमबीए स्टडी की पीरियड और ग्रेस पीरियड को शामिल किया जाता है.कभी कभी गलती से बैंक कर्मचारी इस दौरान भी इन्ट्रेस्ट रेट लगा देते हैं. इसलिए छात्रों को हमेशा इस बात को लेकर सचेत रहना चाहिए तथा अपने सिस्टम तथा पूरे लोन प्रोसेस में मोरेटोरियम पीरियड का ख्याल रखें तथा यह चेक करें कि बैंक इस दौरान तो किसी तरह का इन्ट्रेस्ट नहीं ले रहा है.
6. फ्लोटिंग इन्ट्रेस्ट रेट का चयन करें
बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं को या तो निश्चित इन्ट्रेस्ट रेट या फ्लोटिंग इन्ट्रेस्ट रेट पर लोन की अवधि को बढ़ाया जाता है. छात्रों को हमेशा फ्लोटिंग इन्ट्रेस्ट रेट को ही वरीयता देनी चाहिए और उसी का चयन करना चाहिएक्योंकि यह लौंग टर्म में फायदेमंद साबित हो सकता है. एमबीए एजुकेशन लोन पर फ्लोटिंग इन्ट्रेस्ट रेट का मतलब है कि बेस रेट में परिवर्तन के आधार पर इन्ट्रेस्ट रेट की दर संशोधित की जाएगी. अर्थात यदि बेस रेट कम हो गई है, तो एजुकेशन लोन पर इन्ट्रेस्ट की प्रभावी रेट भी नीचे आ जायेगी.इसलिए, छात्रों को हमेशा एक ऐसे एजुकेशन लोन को पसंद करना चाहिए जो फ्लोटिंग इन्ट्रेस्ट रेट पर पेश किया जाता हो.
7. मोरेटोरियम पीरियड के दौरान रीपेमेंट
यदि एमबीए उम्मीदवार मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ही अपने एमबीए एजुकेशन लोन का पेमेंट करने में सक्षम हों तो वे इन्ट्रेस्ट रेट को कम करने के लिए बैंकों के साथ बातचीत कर सकते हैं. कुछ बैंक एमबीए छात्रों के लिए इस इन्ट्रेस्ट रेट को 0.25% से 1% तक कम करने के लिए तैयार हो जाते है यदि वे मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ऋण चुकाने का विकल्प चुनते हैं. इन्ट्रेस्ट रेट में कमी छात्रों पर पड़े वित्तीय बोझ को काफी कम कर सकती है.इसलिए, छात्रों को हमेशा मोरेटोरियम पीरियड (गैर-पुनर्भुगतान अवधि)के दौरान लोन का पेमेंट करने की कोशिश करनी चाहिए.
8. अपने लाभ के लिए वर्क एक्सपीरिएंस का प्रयोग करें
अगर भारत के किसी टॉप एमबीए कॉलेज में एडमिशन लेने की बात हो तो वहां आपका वर्क एक्सपीरिएंस बहुत काम आ सकता है.यह आपके लिए एक असेट सिद्ध हो सकता है. क्या आपको पता है कि यदि आपके पास वर्क एक्सपीरिएंस है तो बैंक आपको एजुकेशन लोन के इन्ट्रेस्ट रेट पर कुछ रियायत भी दे सकते हैं. इसके लिए ऐसे छात्र जिनके पास वर्क एक्सपीरिएंस है वे बैंक से बातचीत कर अपना इन्ट्रेस्ट रेट कुछ कम (0.25% से 0.50% के बीच ) करा सकते हैं. इसलिए एमबीए एजुकेशन लोन लेते समय अपने वर्क एक्सपीरिएंस का भरपूर लाभ उठायें.
9. महिला उम्मीदवारों को इन्ट्रेस्ट की बेहतर रेट मिल सकती है
भारत के टॉप एमबीए कॉलेजों विशेष रूप से आईआईएम में जेंडर डायवर्सिटी को ध्यान में रखते हुए महिला उम्मीदवारों को एडमिशन के दौरान बहुत सारे मामलों में छुट प्रदान की जाती है. जिन महिला उम्मीदवारों ने टॉप एमबीए कॉलेजों में अपनी सीट सुरक्षित कर ली हैं उन्हें एमबीए एजुकेशन लोन के इन्ट्रेस्ट, मोरेटोरियम पीरियड तथा अन्य टर्म के मामलों में रियायत प्रदान की जाती है.
10. रीपेमेंट टर्म
जैसा ऊपर बताया गया है, एजुकेशन लोन के लिए रीपेमेंट टर्म (पुनर्भुगतान अवधि) मोरेटोरियम पीरियड के अंत में शुरू होती है. आम तौर पर, लोन की राशि और लोन प्रोडक्ट के अन्य नियमों और शर्तों के आधार पर पुनर्भुगतान अवधि 1 वर्ष से 9 वर्ष तक हो सकती है.एक सामान्य समझ के रूप में, एमबीए के छात्र जल्द ही लोन के चक्र को समाप्त करने के लिए कम समय की रीपेमेंट टर्म को पसंद करते हैं. लेकिन, छात्रों को यह समझना चाहिए कि एजुकेशन लोन के लिए भुगतान किया जाने वाल इन्ट्रेस्ट रेट पर इनकम टैक्स रिटर्न नहीं लगता है.और इसलिए, लम्बे समय तक इसका भुगतान फायदेमंद साबित हो सकता है.
दूसरी तरफ, कई बैंक कम इन्ट्रेस्ट रेट के साथ कम रीपेमेंट टर्म (पुनर्भुगतान अवधि) को ज्यादा प्रोत्साहन देते हैं.इसलिए, यह निर्धारित करने के बाद कि कौन सा विकल्प लंबे समय तक अधिक फायदेमंद होगा, पुनर्भुगतान अवधि पर आपको एक सही निर्णय लेना चाहिए.
एजुकेशन लोन खासकर एमबीए एजुकेशन के लिए, आजकल छात्रों की जरुरत बन गयी है.लेकिन, इससे पहले एजुकेशन लोन से संबंधित सभी पहलुओं को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है और उपर्युक्त 10 स्टेप्स, इस कार्य में आपकी बहुत मदद करेंगे. भारत में एमबीए एजुकेशन से जुड़े अन्य नवीन तथ्यों की जानकारी के लिए www.jagranjosh.com/mba पर लॉग इन करें.

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