कॉलेज में क्लास रूम से हटकर और क्या सीख पाते हैं स्टूडेंट्स ?
कॉलेज लाइफ का मतलब सिर्फ क्लास अटेंड करना और अच्छे नंबर से परीक्षा पास करना मात्र नहीं है. यह जीवन का वह समय होता है जब एक स्टूडेंट अपने भविष्य की रुपरेखा तैयार करता है. यह रुपरेखा उसके एकेडमिक जीवन या किसी अन्य सपने को साकार करने से संबंधित हो सकती है. कॉलेज लाइफ स्टूडेंट के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आकार देता है. यहाँ से सीखी गयी बातें जीवन में हर कदम पर काम आती हैं. यहाँ स्टूडेंट्स न सिर्फ एकेडमिक ज्ञान प्राप्त करते हैं बल्कि जीवन जीने के व्यावहारिक पहलुओं का भी मंथन करते हैं.
चलिए कुछ स्टूडेंट्स से मिलकर यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे इस दौरान क्लासरूम से हटकर क्या सीख पाते हैं ?
आवश्यक मैनेजमेंट स्किल की समझ बढ़ती है
कॉलेज में हम कई अन्य स्किल्स में दक्षता हासिल करते हैं. स्वयं सब कुछ करने की जिम्मेदारी के कारण इस दौरान स्टूडेंट्स मनी मैनेजमेंट,टाइम मैनेजमेंट आदि स्किल्स में पूरी तरह पारंगत हो जाते हैं. आइये उन्ही से यह जानते हैं कि यह स्किल जीवन में आगे चलकर उन्हें कैसे मदद करेगा ?
कॉलेज के दिनों में सीखे गए टाइम मैनेजमेंट और मनी मैनेजमेंट जैसे स्किल्स बहुत अच्छी आदतें हैं. स्कूल में हामरे माता पिता हमेशा इस विषय में कहते थें लेकिन जब तक सारी जिम्मेवारी खुद पर नहीं आती हम इसे नहीं समझ पाते हैं. कॉलेज में हम इस कला को सीखते हैं जो आगे चलकर बहुत काम आती है.
काम को टालने की बजाय उसे जल्दी समाप्त करने को प्राथमिकता देना
कार्यों को प्राथमिकता देने का गुण छात्र कॉलेज में ही सीखते हैं. पहले सेमेस्टर की परीक्षा तक तो स्टूडेंट्स मौज मस्ती के मूड में ही होते हैं लेकिन दूसरा सेमेस्टर आते आते वे चीजों को प्राथमिकता देना सीख जाते हैं. अब उन्हें यह बात पूरी तरह समझ में आ गयी होती है कि सेकेण्ड सेमेस्टर में सिर्फ मौज मस्ती से काम नहीं चेलेगा और इसके लिए उन्हें अपनी प्राथमिकतायें तय करनी होंगी. चलिए उन्हीं से जानते हैं कि इस बारे में वे क्या कहते हैं ?
आप कॉलेज के दौरान ही प्राथमिकता की कला को सीखते हैं. कभी कभी ऐसा करते समय आपको पता भी नहीं होता है. यह आगे चलकर आपके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है. आपके पास एकेडमिक कार्यों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक कार्य भी होते हैं.इसलिए प्राथमिकता तय करना जरुरी होता है.
न्यूनतम संसाधनों से जीवन यापन करना
निःसंदेह कॉलेज लाइफ न्यूनतम संसाधनों से जीवन यापन करने की कला सिखाता है. इस समय एक निजी आवसीय सुविधा मिलने की संभवना बिलकुल कम होती है और स्टूडेंट्स शेयरिंग के साथ हॉस्टल या पीजी में रहते हैं. शेयरिंग का गुण तो कॉलेज लाइफ में हर स्टूडेंट में आ जाता है. इसके अतिरिक्त अन्य जरुरी खर्चों के कारण स्टूडेंट्स अपने मनोरंजन या मौज मस्ती के लिए बहुत कम पैसे जुटा पाते हैं.
हाँ, यह बात बिलकुल सही है. यहाँ तक कॉलेज में हम कम से कम बजट में अच्छे तरीके से जीवन जीने की कला सीखते हैं. कॉलेज मटेरियल के खर्चे जैसे ट्यूशन फी, ट्रैवेल फेयर और रेंट आदि के खर्चे ही इतने अधिक होते हैं कि अपने लिए पैसा ही नहीं बचता है. लेकिन इन सबके बावजूद भी हम कूल रहते हुए मौज मस्ती करते हैं.
बाहर की दुनिया से एक्सपोजर
कॉलेज लाइफ के दौरान क्लास रूम से बाहर एक सबसे बड़ी चीज जो देखने को मिलती है,वो है बाहरी दुनिया के साथ एक्सपोजर. कॉलेज का कैम्पस अपने आप में एक मिनी वर्ल्ड होता है. अलग विचार, संस्कृति, भाषा, वेशभूषा तथा पृष्ठभूमि वाले स्टूडेंट्स से परिचय होता है. यह आगे चलकर कॉलेज से बाहरी जीवन के लिए क्रैश कोर्स की तरह होता है. आइये स्टूडेंट्स से ही जानते हैं कि वे इस विषय में क्या सोचते हैं ?
कॉलेज स्कूल की तरह नहीं होता तथा यहाँ दुनिया के हर कोने से छात्र आते हैं. आप बहुत तरह के लोगों से मिलते हैं एवं सभी आपके लिए अच्छे ही नहीं होते हैं. यह हर किसी के लिए एक नई शुरुआत की तरह होता है. इस दौरान आप कुछ ऐसे स्किल्स से रूबरू होते हैं तथा आपको कुछ ऐसे अनुभव मिलते हैं जो आगे चलकर जिंदगी में बहुत काम आते हैं.
इस प्रकार हम देखते हैं कि कॉलेज लाइफ में स्टूडेंट सिर्फ क्लास तक ही सीमित नहीं होते बल्कि इनका परिचय बाहरी दुनिया से भी होता है और ये अपने कुछ ऐसे सामजिक गुणों को अपने अन्दर विकसित करते हैं जिससे वे विपरीत परिस्थितियों का डंटकर सामना कर सके.
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