Thursday, 13 September 2018

Career in economics: अर्थशास्त्र है हर दौर में बेहतर भविष्य की राह

Career in economics: अर्थशास्त्र है हर दौर में बेहतर भविष्य की राह

अर्थशास्त्र को एक ऐसे विषय के तौर पर देखा जा सकता है, जिसकी उपयोगिता लगभग हर क्षेत्र में होती है। सरल शब्दों में कहें तो अर्थशास्त्र समाज के सीमित संसाधनों का दक्षतापूर्ण ढंग से उपयोग करने की अनेक प्रणालियों का अध्ययन है। इसी बुनियादी नियम पर हमारी व्यावसायिक व आर्थिक इकाइयों की गतिविधियां टिकी होती हैं। अर्थशास्त्री आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण और विभिन्न नीतिगत विकल्पों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं। साथ में इनके भावी प्रभाव पर पैनी नजर रखते हैं, ताकि विकास दर पर नियंत्रण रखा जा सके। अर्थशास्त्री इसी दृष्टिकोण से काम करते हैं। इनका कार्यक्षेत्र एक छोटी कंपनी से लेकर देश की अर्थव्यवस्था जैसा बहुआयामी भी हो सकता है।
छात्र में हों ये विशेषताएं
इस विषय की पढ़ाई करने और अर्थशास्त्रमें सफल पेशेवर बनने के लिए आपमें उपलब्ध डाटा का विश्लेषण कर पाने की क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। इसी क्रम में *मैथ्स और स्टैटिस्टिक्स की बुनियादी समझ बेहद जरूरी है। आर्थिक विषमताओं/स्थितियों को समझने-बूझने का निरीक्षण कौशल भी इसमें आगे बढ़ने के लिए जरूरी है।
अध्ययन के रास्ते हैं विविध
अर्थशास्त्र 12वीं स्तर पर एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता है,पर इस विषय में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए अर्थशास्त्र से बीए (ऑनर्स) कोर्स से असली शिक्षा की शुरुआत होती है। हालांकि अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन के स्तर पर कई अन्य कोर्सेज भी संचालित किए जाते हैं। इनमें बीए(बिजनेस इकोनॉमिक्स), बीए(डेवलपमेंटल इकोनॉमिक्स) जैसे कोर्स का नाम लिया जा सकता है। देश के कई विश्वविद्यालयों में ये तमाम कोर्स कराये जाते हैं। अर्थशास्त्र से जुड़े विभिन्न कोर्सेज की मांग इसी बात से समझी जा सकती है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में इसके ग्रेजुएट स्तर के कोर्स में प्रवेश पाने के लिए 90 फीसदी से अधिक अंक चाहिए होते हैं।
विशेषज्ञता की ओर बढ़ाएं कदम
ग्रेजुएशन में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को मास्टर्स स्तर पर अर्थशास्त्र की कई शाखाओं में विशेषज्ञता अर्जित करने के लिए विकल्प दिए जाते हैं। इनमें प्रमुख रूप से एनालिटिकल एंड एप्लाइड इकोनॉमिक्स, बिजनेस इकोनॉमिक्स, कॉर्पोरेशन एंड एप्लाइड इकोनॉमिक्स, इकोनॉमेट्रिक्स, इंडियन इकोनॉमिक्स का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है। इनके अलावा इंडस्ट्रियल इकोनॉमिक्स ,बिजनेस इकोनॉमिक्स, एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स, एन्वायर्नमेंटल इकोनॉमिक्स, बैंकिंग इकोनॉमिक्स व रूरल इकोनॉमिक्स भी उल्लेखनीय हैं। छात्र चुनिंदा विश्वविद्यालयों में उपलब्ध एमबीए (बिजनेस इकोनॉमिक्स) कोर्स का भी लाभ उठा सकते हैं। अर्थशास्त्र में पीजी डिप्लोमा और पीएचडी की राह भी चुन सकते हैं। देश के ज्यादातर सरकारी विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र से जुड़े कोर्सेज उपलब्ध हैं।
इंडियन इकोनॉमिक सर्विस
कम ही लोग जानते होंगे कि देश में इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की तरह इंडियन इकोनॉमिक सर्विस भी है। इसमें उपयुक्त प्रत्याशियों के चयन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करती है। इस परीक्षा में अर्थशास्त्र/स्टैटिस्टिक्स विषय में कम से कम मास्टर्स डिग्रीधारक युवा ही शामिल हो सकते हैं। प्रत्याशी की आयु 21 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक होनी चाहिए। इस परीक्षा में लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू लिया जाता है। लिखित परीक्षा में जनरल इंग्लिश, जनरल नॉलेज व अर्थशास्त्र पर आधारित अन्य पेपर्स होते हैं। यह केंद्र सरकार की ग्रुप ‘ए' सर्विस है। सफल प्रत्याशियों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ, दिल्ली में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद इनकी पहली नियुक्ति सहायक निदेशक के पद पर होती है। कार्यानुभव बढ़ने के साथ पदोन्नति पाते हुए प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर के पद तक पहुंच सकते हैं। 
विदेश में नौकरी के अवसर 
अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों को विदेशी संस्थानों जैसे इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक के अलावा मल्टी नेशनल कंपनियों में शानदार मौके मिलते हैं। इनकी नियुक्तियां अर्थशास्त्री, नीति-निर्माता, एनालिस्ट, कंसल्टेंट आदि रूपों में होती हैं। विदेशों के सरकारी संस्थानों में भी भारतीय आर्थिक विशेषज्ञों की अच्छी-खासी मांग है। विदेश में बतौर रिसर्च स्कॉलर/प्राध्यापक के पदों पर आकर्षक पैकेज पर नियुक्तियां होती हैं।.
इस विशिष्ट कोर्स का उठाएं लाभ
देश के कुछ चुनिंदा विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन स्तर पर तीन वर्षीय बैचलर ऑफ बिजनेस इकोनॉमिक्स कोर्स उपलब्ध है। प्राय: परीक्षा के जरिये इस कोर्स की सीमित सीटों पर प्रवेश दिया जाता है। प्रवेश परीक्षा में वर्बल एबिलिटी, क्वांटिटेटिव एबिलिटी, लॉजिकल रीजनिंग, जनरल अवेयरनेस से जुड़े ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के दस कॉलेजों में यह विशिष्ट कोर्स कराया जाता है। इनमें लगभग 480 सीटों पर प्रवेश दिया जाता है।.
रोजगार के अवसर
निजी क्षेत्र की तमाम औद्योगिक इकाइयों, बैंकिंग सेक्टर, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, कॉमर्स, टैक्सेशन, इंटरनेशनल ट्रेड, एक्चुरियल साइंस आदि में इस क्षेत्र के पेशेवरों की मांग बनी रहती है। हर साल सरकारी क्षेत्र में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, नीति आयोग, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी, नेशनल सैम्पल सर्वे तथा विभिन्न राज्य सरकारों के संबंधित विभागों आदि में बड़ी संख्या में अर्थशा्त्रिरयों की नियुक्तियां की जाती है। अर्थशास्त्र का शिक्षक भी बना जा सकता है।
चुनौतियां
ग्रेजुएशन के बाद ही इस क्षेत्र में रोजगार के विकल्प बनते हैं। लेकिन ज्यादा अवसर उपलब्ध हो पाएं, उसके लिए उच्च अध्ययन की ओर कदम बढ़ाना जरूरी होता है। 
' चूंकि इस क्षेत्र में आर्थिक विश्लेषण के लिए स्टैटिस्टिक्स, कैल्कुलस और ऊंचे दर्जे की गणित का इस्तेमाल होता है, इसलिए छात्रों को अनिवार्य रूप से गणित विषय पसंद होना चाहिए।
अर्थशास्त्र की पढ़ाई को गंभीरता से लें। बीए (ऑनर्स) अर्थशास्त्र के सिलेबस को काफी कठिन माना जाता है।
प्रमुख संस्थान
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे, मुंबई
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता
  • Hindi Newsसे जुडी अन्य ख़बरों की जानकारी के लिए हमें  पर ज्वाइन करें और 

No comments:

Post a Comment

Pitru Paksh 2018: पितृ पक्ष कल से शुरू, जान लें कैसे करें श्राद्ध

Pitru Paksh 2018: पितृ पक्ष कल से शुरू, जान लें कैसे करें श्राद्ध सूर्यकांत द्विवेदी,मुरादाबाद Last updated: Sun, 23 Sep 201...