Friday, 7 September 2018

मॉब लिंचिंग रोकने के लिए यूपी सरकार ने बनाया 'फुल प्रूफ प्‍लान', हर जिले में बनाई गई टास्‍क फोर्स

नई दिल्‍ली : देशभर में मॉब लिंंचिंग के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान उत्तर सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि उन्होंने 17 जुलाई 2018 के सुप्रीम कोर्ट अनुपालन किया है. मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सभी जिलों के SP को नोडल ऑफिसर बनाया गया है. नोडल ऑफिसर की तरफ से टास्क फोर्स का गठन किया है, जो उन लोगों पर नजर रखेगी जो हिंसा को भड़काते है या अफ़वाह के जरिये माहौल बनाने की कोशिश करते हैं. इसके साथ ही नोडल ऑफिसर लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के साथ हर महीने में कम से एक बार मीटिंग करेगा.
नेशनल हाईवे पर पुलिस की पेट्रोलिंग शुरू की जा चुकी है- यूपी सरकार
राज्‍य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि नेशनल हाईवे पर पुलिस की पेट्रोलिंग शुरू की जा चुकी है. उन इलाकों में भी पेट्रोलिंग की जा रही है, जहां लिंचिंग की घटनाएं हुई हैं. अगर कोई लिंचिंग की घटना में शामिल पाया जाता है तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी और कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नही पीड़ित के परिवार को पुलिस पूरी सुरक्षा मुहैया कराएगी.
दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की- राजस्‍थान
वहीं, इस मामले में राजस्थान सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाख़िल किया गया और कहा गया कि अलवर में मॉब लिंचिंग के मामले में आरोपियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. सरकार ने ये भी कहा कि आज ही आरोपियों के खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दायर की जाएगी. सरकार ने ये भी कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है और उनपर जुर्माना भी लगाया है. 
कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता- SC
दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इस बारे में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किया था. कोर्ट ने मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्याओं को लेकर कहा था कि कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. डर और अराजकता की स्थिति में राज्य सरकारें सकरात्मक रूप से काम करें. कोर्ट ने संसद से यह भी कहा था कि वो देखे कि इस तरह की घटनाओं के लिए कानून बन सकता है क्या? 
केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई गाइडलाइन जारी की जाए- सुप्रीम कोर्ट
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई गाइडलाइन जारी करने को कहा था और अगले 4 हफ्तों में कोर्ट में जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने जाति और धर्म के आधार पर लिंचिंग के शिकार बने लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रही लॉबी को भी बड़ा झटका दिया था. चीफ जस्टिस ने वकील इंदिरा जयसिंह से असहमति जताते हुए कहा था कि इस तरह की हिंसा का कोई भी शिकार हो सकता है सिर्फ वो ही नहीं, जिन्हें धर्मा और जाति के आधार पर निशाना बनाया जाता है. 
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था. इसके अलावा मॉब लिंचिंग में रकबर खान की मौत के मामले में राज्य पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी. इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई थी. 
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